UP Politics : मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव को भाने लगा है राम का नाम, चैत्र रामनवमी पर बांध लेंगे केसरिया पगड़ी ?

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* Akhilesh Tiwari

UP News – Lucknow News : समाजवादी पार्टी ( Samajwadi Party ) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव ( Mulayam Singh Yadav ) के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव ( Shivpal Singh Yadav ) को भगवान राम ( Lord Rama ) का आदर्श भाने लगा है। पारिवारिक कलह की वजह से राजनीति का बनवास भोग रहे शिवपाल सिंह यादव ने भगवान राम के परिवार संस्कार का जिक्र करते हुए रामचरित्र को राष्ट्र निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला बताया है। भारतीय जनता पार्टी के नेताओं से मुलाकात और निकटता के हालिया प्रदर्शन से शिवपाल सिंह यादव के बारे में कहा जा रहा है कि चैत्र राम नवमी तक वह भी केसरिया बाना धारण कर लेंगे। बड़े भाई मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद उनकी सक्रियता तेजी से बढ़ी है।

विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना से मिलकर विधायक पद की शपथ ग्रहण करते हुए शिवपाल सिंह यादव

यूपी के राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा बेहद गंभीर है कि मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल सिंह यादव लोकसभा चुनाव 2019 की अपनी गलती को सुधारने के लिए तैयार हो गए हैं। कहा जाता है कि 2019 लोकसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी की ओर से उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में शामिल होने का न्योता मिला था। भाजपा उन्हें अपना यादव नेता बना कर चुनाव लड़ना चाहती थी इसके बदले में उन्हें उत्तर प्रदेश सरकार में पीडब्ल्यूडी जैसा भारी-भरकम मंत्रालय भी देने को तैयार थी। उनके बेटे को भी लोकसभा भेजने का ऑफर था लेकिन तब शिवपाल सिंह यादव ने भाजपा के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया। इसकी वजह उनका बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के प्रति आदर और सम्मान बताया गया। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि अब शिवपाल सिंह यादव भारतीय जनता पार्टी के साथ अगले 5 साल तक सरकार में शामिल रहेंगे और राजनीतिक नुकसान की भरपाई करेंगे। भगवान राम के जन्मोत्सव का अवसर नव राजनीतिक संकल्प यात्रा का प्रारंभ बिंदु हो सकता है।

शिवपाल सिंह यादव की ओर से मिलने वाले संकेत

भारतीय जनता पार्टी की ओर बढ़ते हुए शिवपाल सिंह यादव के कदमों की पहचान उनके पिछले दिनों की गतिविधियों से की जा रही है। विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद समाजवादी पार्टी विधानमंडल दल नेता चयन की बैठक में शिवपाल सिंह यादव को आमंत्रित नहीं किया गया तो नाराज होकर वह इटावा चले गए। 28 मार्च को जब समाजवादी पार्टी ने विधानसभा चुनाव गठबंधन में शामिल सहयोगी दलों के नेताओं को बैठक में बुलाया तो उस दिन शिवपाल सिंह यादव दिल्ली में बड़े भाई नेता मुलायम सिंह यादव के पास बैठे थे। माना जाता है कि उन्होंने मुलायम सिंह यादव से अपनी पीड़ा जाहिर की है। मुलायम सिंह यादव की हरी झंडी मिलने के बाद ही उन्होंने भाजपा की ओर कदम बढ़ाए हैं।

समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव

नेता जी से मुलाकात के बाद सक्रिय हुए शिवपाल

दिल्ली में नेताजी मुलायम सिंह यादव से मुलाकात के बाद लखनऊ लौट कर आए शिवपाल सिंह यादव ने विधानसभा अध्यक्ष के कक्ष में विधायक की शपथ ली और शाम को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलने के लिए उनके निवास पर पहुंच गए। लगभग आधे घंटे की इस मुलाकात के बाद हालांकि दोनों पक्षों की ओर से कोई राजनीतिक बयान नहीं मिला लेकिन शिवपाल सिंह यादव ने जिस तरह सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री और पूर्व डिप्टी सीएम दिनेश शर्मा को फॉलो करना शुरू किया है उससे नए राजनीतिक समीकरण की सुगबुगाहट तेज हो गई है। सोमवार 4 मार्च को उन्होंने सोशल मीडिया पर भगवान राम के दरबार की फोटो साझा करते हुए लिखा कि – ” भगवान राम का चरित्र परिवार संस्कार और राष्ट्र निर्माण की सर्वोत्तम पाठशाला है। ” उनके इस बयान में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए भी गूढ़ार्थ छुपे हुए हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ

शिवपाल सिंह यादव की राजनीतिक मजबूरी क्या है

प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहियावादी के थिंक टैंक में शुमार एक नेता ने बताया कि शिवपाल सिंह यादव के लिए मुलायम सिंह यादव उसी तरह है जैसे लक्ष्मण के लिए राम की भूमिका है। नेताजी के इशारों को समझ कर ही वह काम करते हैं जब उन्हें लगता है कि नेताजी उनकी किसी बात को पसंद नहीं करते हैं तो वह अपने पांव पीछे खींच लेते हैं इसमें उन्हें कई बार राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ा है। समाजवादी पार्टी से अलग होकर नया राजनीतिक दल गठन करने और बाद में समझौता कर अखिलेश यादव के साथ विधानसभा चुनाव लड़ने के फैसले को इसकी बानगी माना जा सकता है। बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के प्रति अपनी अनुराग भक्ति का प्रदर्शन करने में उन्होंने खूब राजनीतिक नुकसान उठाया।

लोकसभा चुनाव 2019 में शिवपाल सिंह यादव ने समाजवादी पार्टी से अलग होकर चुनाव लड़ा और अपनी राजनीतिक दल की नई पहचान गढ़ी। इसके बावजूद जब यूपी विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी की ओर से संकेत मिला कि अगर उनका साथ नहीं मिला तो अखिलेश यादव के मुख्यमंत्री बनने का सपना अधूरा रह सकता है तो बड़े भाई मुलायम सिंह यादव के निर्देश पर उन्होंने अपने राजनीतिक दल को समाजवादी पार्टी की महत्वाकांक्षा की भेंट चढ़ा दिया। हाल यह रहा कि जहां शुरुआती दौर में दो राजनीतिक दलों के गठबंधन की बात होती रहेगी वहां अखिलेश यादव की तरफ से उन्हें केवल एक विधानसभा सीट ही समझौते में मिली। राजनीतिक जानकारों ने बताया कि मुलायम सिंह यादव से दिल्ली की मुलाकात में शिवपाल सिंह यादव ने यही बात कही कि अखिलेश यादव की ताजपोशी के लिए उन्होंने अपने राजनीतिक दल को कुर्बान कर दिया लेकिन जब उत्तर प्रदेश विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बनाने की बारी आई तो अखिलेश यादव ने यह ओहदा भी अपने पास रख लिया। ऐसे में अब साफ हो गया है कि पार्टी में जो भी शीर्ष पद होंगे उस पर अखिलेश यादव ही रहेंगे। वह किसी भी तरह सत्ता का बंटवारा करने को तैयार नहीं हैं ऐसे में कैसे गुजारा किया जा सकता है। शिवपाल ने मुलायम सिंह से कहा है कि जब पहले से तय हुआ था कि अखिलेश यादव केवल मुख्यमंत्री बनेंगे तो नेता प्रतिपक्ष बनने का फैसला क्यों किया गया ?

दिल्ली में मुलायम सिंह यादव से मिलकर आशीर्वाद लेते शिवपाल सिंह यादव

शिवपाल को मिल गई है संजीवनी

यही वजह है कि अपने राजनीतिक दल का आज वादी पार्टी में लगभग विलय कर चुके शिवपाल सिंह यादव के पास भारतीय जनता पार्टी का ऑफर स्वीकार करने के अलावा दूसरा रास्ता नहीं है। उनके समर्थक उन्हें मुलायम सिंह यादव का लक्ष्मण भी कहते हैं ऐसे में भगवान राम के आदर्शों पर चलकर शिवपाल सिंह यादव राजनीति का वह लक्ष्मण बनना चाहते हैं जिसके मूर्छित होने पर भगवान राम ने हनुमान को भेजकर संजीवनी मंगाई थी। शिवपाल सिंह यादव की करीबियों का कहना है कि नेता जी ने संकेत दे दिए हैं। अब संजीवनी भी मिलेगी और “लक्ष्मण शक्ति” का प्रदर्शन भी होगा।

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