कोविड संक्रमित माँ कैसे कराएं शिशु को दुग्ध पान बता रही हैं एसजीपीजीआई की विशेषज्ञ
लखनऊ । अगर शिशु की अवस्था 6 माह से कम है और मां को कोरोना संक्रमण हुआ है तो भी बच्चे को डिब्बे का दूध या बाहर का दूध ना पिलाएं। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान ( एसजी पीजीआई ) की वरिष्ठ बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. पियाली भट्टाचार्य ने कोरोनावायरस संक्रमित माताओं को विशेष हिदायत दी है उनका कहना है कि अगर 6 माह से कम अवस्था के बच्चे को बाहर का दूध पिलाया जाए तो यह उसे हमेशा के लिए कुपोषित बना सकता है।

कोरोना संक्रमण का शिकार हुई नवजात शिशुओं की मांताएं अपने शिशुओं के दुग्ध पान को लेकर अक्सर दुविधा में पड़ जाती हैं। माताओं के लिए यह निश्चित करना मुश्किल हो जाता है कि कोरोना संक्रमण की अवस्था में उन्हें अपने बच्चे को स्तनपान कराना चाहिए अथवा नहीं। कोरोना संक्रमित व्यक्ति को छूने अथवा उसके द्वारा छू गई वस्तु के संपर्क में आने से फैलने वाली इस बीमारी को लेकर माताओं के साथ ही परिवार के वरिष्ठ सदस्य भी यह तय नहीं कर पाते हैं कि क्या करना उचित होगा। शिशु रोग चिकित्सकों के अनुसार ऐसे कई मामले सामने आए हैं जिसमें परिवारी जनों के निर्देश पर कोरोना संक्रमित माताओं ने अपने शिशु को स्तनपान कराना बंद कर दिया। इससे बच्चों में अनेक तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लगी। संजय गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान की शिशु रोग विशेषज्ञ
डॉ. पियाली का कहना है कि कोविड काल में जानकारी के अभाव में माताएं अपने बच्चे को दूध पिलाने में हिचक रही हैं, खासकर वह महिलाएं जो पहली बार माँ बनी हैं । ऐसी महिलाओं को आशंका है कि बच्चे के निकट जाने से उनके बच्चे को भी पुराना हो जाएगा। विकल्प के तौर पर ऐसे बच्चों को डिब्बाबंद दूध या जानवर का दूध दिया जाने लगा । जबकि यह बड़ी भूल है। स्तनपान का दूसरा विकल्प नहीं है। जन्म के तुरंत बाद या एक घंटे के भीतर माँ स्तनपान जरूर कराए क्योंकि इससे बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है और बीमारियों से उसकी रक्षा होती है ।
उन्होंने बताया कि नवजात को डिब्बाबंद दूध या जानवर का दूध देने से दस्त की संभावना बढ़ जाती है और इससे बच्चे का वजन भी गिर सकता है । ऐसे में जो नवजात पहले से ही कमजोर हैं, उनके कुपोषित व बीमार होने की भी संभावना बढ़ जाती है। इसलिए यदि किसी कारणवश माँ स्तनपान कराने में सहज नहीं महसूस कर रही है तो माँ का दूध साफ कटोरी में सफाई से निकाल लें और शिशु को चम्मच से माता का दूध पिलाएं । उन्होंने बताया कि बच्चे को दूध पिलाने के लिए बोतल का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए। यह बेहद हानिकारक होता है। बच्चे को कभी भी डिब्बे बंद दूध नहीं देना चाहिए । यह अधिक पौष्टिक नहीं होता है । इसकी कीमत भी बहुत ज्यादा है और साफ पानी भी नहीं मिल पाता है इसलिए बच्चे को हमेशा मां का दूध ही देना चाहिए।

डॉ. पियाली ने बताया कि इन दिनों ज्यादातर महिलाएं यह सवाल पूछ रही हैं कि क्या कोविड का टीका लगवाने वाली माँ स्तनपान करा सकती हैं । किस बारे में उनका मानना है कि कोविड-19 टीकाकरण का महिलाओं के स्वास्थ्य पर कोई प्रतिकूल असर नहीं पड़ रहा है यहां तक कि उनके दूध उत्पन्न करने की क्षमता भी प्रभावित नहीं हो रही है ऐसे में महिलाओं को चाहिए कि वह टीका लगवाने के बाद भी अपने बच्चों को स्तनपान कराती रहें । टीकाकरण का एक फायदा यह भी है कि मां के टीका लगने के बाद स्तनपान से जब बच्चे को दूध प्राप्त होता है तो उसके शरीर में कोरोनावायरस से लड़ने की एंटीबॉडी अपने आप बनने लगती है। ऐसा कह सकते हैं कि एक मां अगर अपना टीकाकरण कराती है तो उसके शिशु का टीकाकरण स्वाभाविक तौर पर हो जाता है।
उन्होंने कहा कि कोविड संक्रमित माँ भी अगर आप बच्चे को स्तनपान कराना चाहे तो अपने हाथों और स्तन की अच्छे से सफाई कर ले। चेहरे पर मास्क लगाकर बच्चे को स्तनपान करा सकती हैं । डॉ. पियाली का कहना है कि शिशु की मां और परिवारी जनों को चाहिए कि बच्चे का वजन भी समय-समय पर लेते रहे ताकि पता चल सके कि ग्रोथ चार्ट ऊपर की तरफ जा रहा है या नीचे की तरफ आ रहा है ।