Ayodhya Election News : अयोध्या जिले की गोसाईगंज विधानसभा के लगभग 5000 मतदाताओं वाले 2 गांव में इन दिनों राजनीतिक दलों और प्रत्याशियों के जिंदाबाद के बजाय चुनाव बहिष्कार के नारे गूंज रहे हैं। गांव के सैकड़ों ग्रामीण हाथ में मतदान बहिष्कार का बैनर लेकर गली गली घूम कर बता रहे हैं कि सरकारी सिस्टम की लापरवाही अब और बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर सरकारी दस्तावेजों में पूरे गांव को लुप्त दिखाया जा रहा है तो अब लोकतंत्र के चुनावी नक्शे पर भी गांव गायब ही रहेगा।

गोसाईगंज विधानसभा क्षेत्र के माझा गाजीपुर व माझा रामपुर पुवारी गांव को राजस्व विभाग के अधिकारियों ने जिले के राजस्व रिकॉर्ड से बाहर कर दिया है। राजस्व रिकॉर्ड में दोनों गांव को बेचिराग यानी आबादी हीन घोषित किया गया है। राजस्व विभाग के अनुसार इन गांव की सीमा में कोई भी निवास नहीं करता है। विभाग के अधिकारियों का कहना है कि इन गांव की जमीन सरयू नदी में जा चुकी है और इनका खेत का हिस्सा बस्ती जिले में मौजूद है।

राजस्व विभाग के अनुसार इन ग्रामीणों की जमीन सरयू जल क्षेत्र बन चुकी है। यही वजह है कि जमीन पर आने वाली बाढ़ और नुकसान का कोई मुआवजा ग्रामीणों को नहीं मिलता। जबकि गांव वालों का कहना है कि उनकी कई पीढ़ियां उनकी जमीन पर मालगुजारी और लगान जमा करती आई हैं। 2008 की चकबंदी के समय ग्राम प्रधान और चकबंदी कानूनगो के बीच किसी बात पर झगड़ा हो गया। सबक सिखाने के लिए कानून बने पूरे गांव की जमीन को बेचारा घोषित कर दिया है। राजनीतिक दलों के नेता ग्रामीणों को न्याय दिलाने का आश्वासन देते रहे हैं लेकिन अब तक किसी ने वादा पूरा नहीं किया है। 2018 के बाद से राजस्व विभाग ने गांव वालों को जमीन की खतौनी देने से भी इनकार कर दिया है। ग्रामीणों को कोई भी सरकारी सुविधा नहीं मिलती है राजस्व विभाग में गांव की जमीन का अभिलेख नहीं होने से उन्हें बैंक से किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ भी नहीं मिल रहा है।

गांव के निवासी राम शंकर, राजभवन और वृद्धा अँकवारी का कहना है कि जब प्रशासन और शासन के लोग उनकी नहीं सुन रहे हैं तो उनके लिए कैसा लोकतंत्र और कैसी सरकार। यही वजह है कि दोनों गांव के सैकड़ों ग्रामीण यह तय कर चुके हैं इस बार मतदान का बहिष्कार करेंगे।
पिछली बार सभी लोगों ने भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को जिताया था तब उनसे वादा किया गया था कि सरकारी अभिलेखों को ठीक कराया जाएगा। अब तक ऐसा नहीं हो सका है इसलिए अब ग्रामीणों को भाजपा पर भी भरोसा नहीं है यही वजह है कि भाजपा के नेताओं की नींद सबसे ज्यादा उड़ी हुई है क्योंकि 5000 वोट किसी भी विधानसभा क्षेत्र में उलटफेर करने के लिए काफी होते हैं।