Ayodhya Breaking News : आनंद सेन का बीकापुर रुश्दी मियां का रुदौली टिकट हुआ होल्ड, पार्टी में मचा घमासान

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अयोध्या। समाजवादी पार्टी अयोध्या जिले की बीकापुर और रुदौली सीट पर प्रत्याशी चयन को लेकर बड़ी दुविधा का सामना कर रही है। 2 दिन पहले आनंद सेन और अब्बास अली जैदी रुश्दी मियां को हरी झंडी दिखाने के बाद अब समाजवादी पार्टी नेतृत्व में ऐन मौके पर दोनों प्रत्याशियों का टिकट होल्ड कर दिया है। दोनों लोगों से सिंबल वापस ले लिया गया है अब नए सिरे से फैसला होगा पार्टी में मचे घमासान के बीच अयोध्या में नामांकन करने के लिए केवल एक दिन बचा है।

समाजवादी पार्टी में बीकापुर सीट और रुदौली सीट को लेकर जोरदार आंतरिक संघर्ष छिड़ा हुआ है। दरअसल पार्टी नेतृत्व इन दोनों सीटों को लेकर खासी दुविधा का सामना कर रहा है। पार्टी नेतृत्व यह संदेश भी देना चाहता है कि वह भारतीय जनता पार्टी को हर सीट पर हराकर अपनी प्रदेश में सरकार बनाने के लिए तैयार है लेकिन राजनीतिक समीकरण ऐसे बन गए हैं जिसमें बीकापुर सीट और रुदौली सीट पर समाजवादी पार्टी व भाजपा की सीधी टक्कर के बजाय त्रिकोणीय संघर्ष के आसार ज्यादा नजर आ रहे हैं। समाजवादी पार्टी ने बीकापुर सीट से आनंद सेन को प्रत्याशी बनाया है दूसरी ओर भारतीय जनता पार्टी ने निवर्तमान विधायक शोभा सिंह के बेटे अमित सिंह को प्रत्याशी घोषित किया है। बहुजन समाज पार्टी ने अयोध्या के प्रतिष्ठित बड़ी देवकाली मंदिर की पूजा अर्चना करने वाले परिवार के सुनील पाठक को मौका दिया है। बीकापुर सीट पर ब्राह्मणों की तादाद अच्छी खासी है । पाठक परिवार की इस विधानसभा क्षेत्र के गांव में रिश्ते नातेदारी भी है। ऐसे में समाजवादी पार्टी ने पूर्व सांसद मित्रसेन यादव के बेटे व पूर्व मंत्री आनंद सेन को प्रत्याशी बनाया है।

आनंद सेन यादव
अब्बास अली जैदी रुश्दी मियां
अनूप सिंह

बीकापुर सीट पर समाजवादी पार्टी की ओर से फिरोज खान उर्फ गब्बर ने भी पर्चा खरीद रखा है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीकापुर सीट पर अगर समाजवादी पार्टी यादव या मुस्लिम प्रत्याशी को मौका देती है तो वह अपने पुराने मुस्लिम यादव वोट बैंक पर ही खड़ी हो जाएगी। इससे अन्य जातीय समीकरण बिठाने में मुश्किल होगी और समाजवादी पार्टी बीकापुर में सीधी लड़ाई लड़ने के बजाय बहुजन समाज पार्टी के साथ त्रिकोणीय संघर्ष में फंस जाएगी। ऐसे में अल्पसंख्यक मतदाताओं के रुख पर समाजवादी पार्टी प्रत्याशी का चुनाव निर्भर हो जाएगा। अगर गब्बर को मौका नहीं मिलने की वजह से अल्पसंख्यकों ने नाराजगी दिखाई और बसपा की ओर चले गए तो सीधी लड़ाई बसपा और भाजपा में हो जाएगी।

कुछ ऐसा ही हाल रुदौली विधानसभा क्षेत्र का भी है जहां समाजवादी पार्टी की ओर से अब्बास अली जैदी रुश्दी मियां पिछला चुनाव लड़ चुके हैं। वह पूर्व विधायक है लेकिन 2017 का चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में पार्टी नेतृत्व वहां बदलाव करने के बारे में विचार कर रहा था लेकिन बाद में उनका नाम घोषित कर दिया गया। बीकापुर से आनंद सेन यादव और रुदौली से दोस्ती में आंख के नाम की घोषणा होने के बाद से पार्टी में घमासान मचा हुआ है। पार्टी के युवा नेता अनूप सिंह के बारे में पार्टी के अंदर और बीकापुर विधानसभा क्षेत्र में भी सकारात्मक माहौल बना हुआ है ऐसे में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं का मानना है कि अनूप सिंह को बीकापुर से मौका देकर समाजवादी पार्टी भाजपा प्रत्याशी को हराने का सीधे-सीधे श्रेय ले सकती है। अनूप सिंह के चुनाव लड़ने से भारतीय जनता पार्टी के क्षत्रिय जनाधार में सेंध लगाई जा सकेगी दूसरी ओर बहुजन समाज पार्टी के प्रत्याशी सुनील पाठक ब्राह्मण जनाधार को नुकसान पहुंचाएंगे। भाजपा प्रत्याशी की स्थिति कमजोर होगी इसका चुनावी फायदा सपा को मिलेगा। यही वजह है कि समाजवादी पार्टी नेतृत्व ने ऐन मौके पर सिंबल होल्ड कर लिया है और अंतिम फैसला मंगलवार तक छोड़ दिया है।

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