Ayodhya News : अयोध्या – गोरखपुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर रविवार दोपहर हुए भीषण हादसे में जाको राखे साइयां मार सके न कोय की कहावत सच साबित हुई । हाईवे पर खराब खड़े कंटेनर में भिड़ी डीसीएम के परखच्चे उड़ गए लेकिन ड्राइवर की जान बाल-बाल बच गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने आधे घंटे की मशक्कत के बाद डीसीएम गाड़ी को काटकर ड्राइवर को बाहर निकाला और उसे अस्पताल पहुंचाया गया। इस दौरान अयोध्या गोरखपुर हाईवे पर यातायात ठप रहा।

अयोध्या से गोरखपुर जाने वाले हाईवे पर बूथ नंबर 4 के पास हादसा हुआ है। बीच सड़क पर खड़े एक कंटेनर में तेज रफ्तार से आ रही एक डीसीएम पीछे से घुस गई। डीसीएम का अगला हिस्सा बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गया। ईश्वर की कृपा रही कि डीसीएम चालक शत्रुघ्न लाल पूरी तरह से सुरक्षित रहा। हालांकि उसे काफी चोटें आई है। जिसे ईलाज के लिए ले जाया गया है।

हादसा इतना भीषण था कि डीसीएम का चालक आधे घंटे तक क्षतिग्रस्त हिस्से में फंसा रहा लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस ने मशक्कत के बाद उसे सुरक्षित निकाल लिया। चालक शत्रुघ्न लाल सीतापुर का रहने वाला बताया गया है। हादसे की वजह से करीब एक घंटे तक हाईवे पर दो किलोमीटर तक लम्बा जाम लगा रहा। जिसने भी डीसीएम में चालक को फंसे देखा वह यही कहता रहा जाको राखे साइयां मार सके न कोय। पुलिस के मुताबिक हादसा अयोध्या के बूथ नंबर चार पर के पास हुआ। गिट्टी लाद कर गोरखपुर जा रहा कंटेनर खराब हो जाने के कारण सड़क पर खड़ा था। दो घंटे बाद जाम हटने के बाद हाईवे पर यातायात बहाल हुआ।
हादसों से बेखबर है एनएचएआई
गोरखपुर अयोध्या लखनऊ हाईवे पर आए दिन सड़क हादसे होते रहते हैं लेकिन नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के अधिकारी इस सबसे बेखबर बने हुए हैं। हाईवे पर वाहन जहां तहां खड़े कर दिए जाते हैं। उन्हें हटाने के लिए भी एनएचएआई के अधिकारियों की ओर से कोई प्रयास नहीं किया जाता यहां तक कि जब कोई हादसा भी सड़क पर होता है तब भी देर तक एनएचएआई की ओर से कोई टीम नहीं पहुंचती। स्थानीय पुलिस को ही ऐसे मामलों में पहल कर लोगों की मदद करनी पड़ती है। यह हाल तब है जब एनएचएआई की ओर से हाईवे पर मोटा टोल टैक्स वसूला जाता है जिसमें हाईवे पर खराब होने वाले वाहनों को हटाने और यात्रियों की सुविधा के अन्य उपाय करने का टैक्स भी शामिल है। हाईवे पर यात्रियों को ना तो कोई यात्री सुविधा मिल रही है और ना ही उन्हें सुरक्षित यातायात ही मुमकिन हो रहा है। इसके बावजूद एनएचएआई के अधिकारी टोल टैक्स वसूलने वाले ठेकेदारों पर मेहरबान बने हैं।