अयोध्या। नव संवत्सर की पूर्व संध्या पर आज धर्म नगरी अयोध्या के हजारों संत महंतों धर्माचार्यों और श्रद्धालुओं ने पवित्र रामकोट की परिक्रमा की। आज अपराहन 4:00 बजे के करीब प्रदेश के मुख्यमंत्री महंण योगी आदित्यनाथ ने इस परिक्रमा को झंडी दिखाकर रवाना किया। लंबे समय से भारतीय नव वर्ष के स्वागत में होने वाली यह परिक्रमा कोरोना महामारी के संकट के चलते विगत वर्षों स्थगित रही। दो वर्षों के अंतराल के बाद आज इस परिक्रमा को लेकर संत समाज और श्रद्धालुओं में विशेष उत्साह नजर आया।

विक्रमादित्य महोत्सव समिति न्यास के तत्वावधान में होने वाली इस परिक्रमा में 3000 से अधिक लोगों ने भागीदारी की। पूरे मार्ग पर जय श्री राम का उद्घोष गूंजता रहा। परिक्रमा में सम्मिलित होने वाले प्रमुख संतों में विक्रमादित्य महोत्सव समिति के अध्यक्ष और श्री रामबल्लभा कुंज के प्रमुख संत राजकुमार दास, जानकी घाट के महंत जन्मेजय शरण ,बड़ा आस्थान के महंत बिंदुगद्दाचार्य ,लक्ष्मण किला के महंत मैथिली रमण शरण, हनुमत निवास के महंत मैथिली नंदनी शरण, तिवारी मंदिर के महंत गिरीश पति तिवारी, मधुकरिया संत मिथिला बिहारी दास, डाडीया मंदिर के महंत महामंडलेश्वर महंत गिरीश दास, पत्थर मंदिर के महंत अवनीश दास जी महाराज, कृपालु बाबा, पागल दास जी महाराज सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु और संत शामिल रहे।

परिक्रमा का शुभारंभ प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने झंडी दिखाकर किया। इस अवसर पर उन्होंने पूरे देश प्रदेश और संत समाज को नव वर्ष की मंगल कामनाएं भी दी। इस अवसर पर विक्रमादित्य महोत्सव समिति के अध्यक्ष संत राजकुमार दास के साथ भाजपा महानगर अध्यक्ष अभिषेक मिश्र और श्री राम जन्म भूमि ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय व सदस्य डॉ अनिल मिश्र भी मौजूद रहे। परिक्रमा में बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने भागीदारी की। इस परिक्रमा से लंबे समय से जुड़े राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के इतिहास संकलन विभाग के प्रमुख डॉ संजय ने कहा कि नव संवत्सर यानी कि प्रतिपदा के दिन ही पृथ्वी का जन्म सृष्टि में हुआ था। हम इसे परमपिता भगवान श्रीराम का विशेष अनुग्रह मानकर आज के दिन रामकोट की परिक्रमा करते हैं। हम कोई भी नया काम शुरू करने से पहले ईश्वर का अनुग्रह करते हैं। उनकी कृपा से पूरे देशवासियों का यह नया साल मंगलमय हो यही हमारी कामना है।

तिवारी मंदिर के महंत गिरीशपति तिवारी ने कहा कि अयोध्या के कण-कण में भगवान राम की व्याप्ति है। यह परिक्रमा उसी व्याप्ति को आत्मसात करने का प्रयास है। यह परिक्रमा परंपरा के अनुसार मातगैड स्थित मत्तगजेंद्र मंदिर से पूजा अर्चना के बाद आरंभ हुई। परिक्रमा मुख्य मार्ग से श्रृंगार हाट, टेढ़ी बाजार होते हुए रामकोट के चारों तरफ चक्कर लगाकर पुनः अपने आरंभ स्थल पर पहुंचकर समाप्त हुई।

