अयोध्या। सोहावल ब्लॉक के गौरा ब्रह्मनन से निकली त्रिलोदकी गंगा का जीर्णोद्धार कार्य तेज किया जाएगा। बुधवार को नदी के उद्गम स्थल पर विकास कार्य का निरीक्षण करने पहुंचे जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने अधिकारियों से कहा कि मजदूरों की संख्या बढ़ाकर जीर्णोद्धार कार्य को जल्द से जल्द पूरा कराया जाए।

जिलाधिकारी नीतीश कुमार ने बुधवार को मुख्य विकास अधिकारी अनीता यादव के साथ तलोद की गंगा उद्गम स्थल का निरीक्षण कर नदी के जीर्णोद्धार प्रोजेक्ट कार्य की समीक्षा की। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि जिन जिन गांव से होकर त्रिलोदकी गंगा गुजर रही है उन सभी गांव में विकास कार्य को पूरा कराने के लिए मनरेगा के तहत ज्यादा से ज्यादा मजदूरों का इस्तेमाल किया जाए । उन्होंने कहा कि जिन गांव में अभी तक नदी की नाप का कार्य पूरा नहीं हुआ है उसे भी शीघ्र से पूरा कराया जाए। उपायुक्त मनरेगा से उन्होंने कहा कि मजदूरों की संख्या बढ़ाकर प्रोजेक्ट को पूरा करने में तेजी लाएं। निरीक्षण के दौरान उन्हें गौरा ब्रह्मनान में 35 और ग्राम अरथर में 59 मजदूर कार्य करते हुए मिले। डीसी मनरेगा ने बताया कि जिले में इससे पहले तमसा नदी के जीर्णोद्धार का कार्य पूरा कराया गया है। अब त्रिलोदकी गंगा का विकास कराया जा रहा है। जिलाधिकारी के निरीक्षण के दौरान डीसी मनरेगा नागेंद्र त्रिपाठी खंड विकास अधिकारी सोहावल राकेश गुप्ता सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे।

क्या है त्रिलोदकी गंगा प्रोजेक्ट
अयोध्या धाम के पौराणिक नदियों में त्रिलोदकी गंगा भी शामिल है। यह नदी 47 किलोमीटर लंबी पाई गई है। सोहावल विकासखंड के गांव गौरा ब्रह्मनान से शुरू होकर यह नदी पूरा बाजार विकासखंड से होते हुए सरयू नदी में मिल जाती है। फिलहाल यह नदी कई स्थानों पर लुप्तप्राय हो चुकी है। कुछ गांव से होकर अभी भी इसका स्वरूप दिखाई देता है। कहीं-कहीं इसका स्वरूप नाला जैसा ही मिलता है सोहावल तहसील के पंडितपुर में यह नदी की शक्ल में मौजूद है जो समदा झील से होते हुए आगे बढ़ती है।

अयोध्या जिले से होकर बहने वाली 6 नदियों में सरयू, गोमती, तमसा, विसुही और कल्याणी के साथ त्रिलोदकी नदी की चर्चा पुराणों में भी है। इसे कुछ गांव में तिलैया नदी भी बोलते हैं। पौराणिक आख्यानों के अनुसार इस नदी का उद्गम ऋषि रमण की तपस्या से हुआ है। शताब्दियों पहले यह नदी अयोध्या जिले में बहा करती थी लेकिन बाद में उथली होने के कारण यह धीरे-धीरे सँकरी हुई और कई स्थानों पर लुप्त हो गई । अयोध्या की पौराणिकता स्थापित करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों के तहत इस नदी का स्वरूप तलाशा गया है। बताया जाता है कि मांडव्य ऋषि की तपस्या से तमसा नदी और अयोध्या की चौरासी कोस की परिधि में गौरा ब्रह्मनान के पास ऋषि रमणक की तपस्या से त्रिलोदकी नदी का उद्गम हुआ है। यह नदी सोहावल, मसौधा और पूरा बाजार विकास खंडों से होते हुए सरयू नदी तक अपनी यात्रा पूरी करती है। इस नदी के मार्ग में गौरव ब्रह्मणान, अरथर, पंडितपुर, भिखारीपुर , मोइया कपूरपुर, हूंसेपुर, माना पुर, रायपुर, बल्लीपुर, सरियावां, गोपालपुर, बिछिया, मऊ यदुवंश पुर ,टोनिया, पूरा बाजार के गंजा, जनौरा ,भीखापुर ,रानो पाली ,आशापुर मक्खापुर, तकपुरा, जीयनपुर ,हैबतपुर ,बाग विजेसर, काजीपुर, जयसिंहपुर, आसिफ बाग, माझा शाहनवाज पुर, तिहुरा माझा, माझा रामपुर हलवारा , सराय रासी और राजेपुर मांझा होते हुए यह नदी सरयू तक जाती है।