अयोध्या। अयोध्या के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश में बदलती सत्ता की आहट को पहचान लिया है. यह हम नहीं कह रहे हैं अयोध्या शहर के लोग कह रहे हैं जहां आज सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है जिला अधिकारी के नाम वाली पट्टिका के रंग की. राम नगरी अयोध्या को नई पहचान देने के लिए आतुर दिख रहे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कुर्सी पर रहते ही अयोध्या के जिलाधिकारी ने अपने नाम वाली पट्टिका का रंग भगवा से बदलकर हरा कर दिया है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश में कई जिलों और शहरों के नाम का परिवर्तन किया और इस बात का दावा किया कि वह इतिहास की गलतियों को सुधार कर नई पहचान दे रहे हैं. विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान बीकापुर की जनसभा में भी उन्होंने यह बात दोहराई और कहा कि पहले फैजाबाद जिले से अयोध्या को जाना जाता था. मैंने यह गलती ठीक की है अब अयोध्या जिले से पूरे क्षेत्र की पहचान होगी. उनके शासनकाल के दौरान अयोध्या जिले में जिला अधिकारी के नाम वाले बोर्ड का रंग भी भगवा हो गया था. लेकिन अब इस बोर्ड का रंग भगवा नहीं रहा .

बुधवार 2 मार्च की सुबह लोगों ने देखा कि जिलाधिकारी आवास के सामने लगे दिशा सूचक बोर्ड के भगवा रंग को बदलकर हरा कर दिया गया है. इस कार्रवाई ने अयोध्या और फैजाबाद में नई तरह की चर्चा को जन्म दे दिया है. शहर में सोशल मीडिया पर चर्चा तेज हो गई है कि क्या अयोध्या के अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश में सत्ता की बदलती आहट को पहचान लिया है और उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नक्शे कदम पर चलते हुए रंग से मिलने वाले संकेतों को समझते हुए भगवा रंग के बजाय हरा रंग चुन लिया है.

इस बारे में जब मीडिया के लोगों ने जिलाधिकारी नीतीश कुमार से पूछा तो उन्होंने कहा कि उन्हें बोर्ड का रंग बदले जाने को लेकर कोई जानकारी नहीं है यह काम लोक निर्माण विभाग का है इसलिए लोक निर्माण विभाग के अधिकारी ही बता सकते हैं कि बोर्ड का रंग क्यों बदला गया है. प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि हालांकि जिलाधिकारी ने इस बारे में लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों को बुलाकर सख्त एतराज क्या है और उनसे जवाब तलब किया तो पता चला कि लोक निर्माण विभाग के नियमों में हरे रंग के बोर्ड पर ही दिशा सूचक पत्रिका तैयार करने का प्रावधान है. दूसरी ओर शहर में लोग चर्चा कर रहे हैं कि अयोध्या में 27 फरवरी को हुए मतदान के साथ ही उत्तर प्रदेश में 5 चरण के मतदान पूरे हो चुके हैं. इसी का असर शासन प्रशासन में बैठे अधिकारियों पर दिखाई देने लगा है.