Ayodhya News : आजादी के बाद भारतीय साहित्य सृजन की बढ़ी हैं चुनौतियां, ऐसा संकट तो विधर्मी शासन में भी नहीं रहा

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अयोध्या। भारतीय साहित्य संघर्षों का कालखंड बड़ा लंबा है। विदेशी आक्रमणों और विधर्मी शासन से संघर्ष के दौरान भी भारतीय भाषाओं में साहित्य सर्जन भारतीय मूल्यों के अनुरूप ही होता रहा लेकिन आजादी के बाद नवनिर्माण वादियों ने भारतीय सनातन जीवन मूल्य और साहित्य को षड़यंत्र कर इस तरह तिरस्कृत किया कि पूरे समाज और देश को बड़ा नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे में अखिल भारतीय साहित्य परिषद ने भारतीय जीवन मूल्यों के अनुरूप साहित्य सर्जन वातावरण निर्माण का संकल्प लिया है और इस दिशा में सतत प्रयत्नशील है।


ये बातें परिषद के अवध प्रांत अध्यक्ष विजय त्रिपाठी ने अयोध्या इकाई के गठन और नूतन वर्ष अभिनंदन कार्यक्रम में कहीं। यह कार्यक्रम अवध विश्वविद्यालय के संत कँवरराम साहिब सिंधी अध्ययन केंद्र में आयोजित किया गया था। उन्होंने कहा कि साहित्यकार किसी विचार में बंधकर रचना नहीं कर सकता परन्तु उसकी भावभूमि में राष्ट्रीय और सांस्कृतिक तत्व हैं तो वे उसके सृजन में अवश्य परिलक्षित होंगे।

उन्होंने कहा कि भारतीय साहित्य सनातन है। वैदिक वांग्मय श्रुत परंपरा से अनादि काल से सतत प्रवाह में हैं। इनका काल निर्धारण संभव नहीं है। भारतीय साहित्य के संघर्षों का अंत नहीं हुआ है। विदेशी आक्रमणों से जूझते और विधर्मियों के शासन में भी सभी भारतीय भाषाओं में साहित्य सृजन भारतीय मूल्यों के अनुरूप होता रहा। सबसे कठिन चुनौती आजादी के बाद प्रारंभ हुई जब नवनिर्माण और पुनर्निर्माण की बात चली। नवनिर्माणवादियों के प्रभाव काल में हमारे ज्ञान विज्ञान, धर्म आध्यात्म और दर्शन से भरपूर वैदिक, पौराणिक, संस्कृत सहित अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्य को नकारा जाने लगा। भौतिकवादी साहित्य सत्ता के संरक्षण में हावी हुआ और भारतीय मूल्यों को तिरस्कृत किया जाने लगा। काव्य की सरसता क्षीण हो गई। अखिल भारतीय साहित्य परिषद ऐसे कालखंड की चुनौती को स्वीकार कर आगे बढ़ रहा है और समस्त भारतीय भाषाओं के विकास के साथ ही साहित्य के माध्यम से भारतीय मूल्यों की स्थापना के लिए प्रतिबद्ध है।


इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अयोध्या महानगर संघचालक डॉ विक्रमा प्रसाद पाण्डेय ने अपने संबोधन में इकाई गठन पर हर्ष व्यक्त किया और कहा कि इसे सक्रिय रखने के लिए सतत बैठक और कार्यक्रम होते रहने चाहिए।
नवगठित इकाई के अध्यक्ष साहित्य भूषण प्रमोदकांत मिश्र ने सामयिक चुनौती को अपने संबोधन में रेखांकित किया। प्रांत प्रचार प्रमुख सर्वेश पांडेय ने भी विचार व्यक्त किए। संगठन का परिचय और कार्यक्रम की भूमिका प्रस्तुत करने के साथ ही कार्यक्रम का संचालन परिषद के महामंत्री ज्ञान प्रकाश टेकचंदानी सरल ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ विश्व प्रकाश रूपन की सरस्वती वन्दना से हुआ। ‌इकाई की उपाध्यक्ष स्वदेश मलहोत्रा का काव्य पाठ भी हुआ।

इस मौके पर नवगठित इकाई के संरक्षक डॉ लक्ष्मीकांत सिंह, प्रोफेसर आरके सिंह, उपाध्यक्ष डॉ वीएन अरोड़ा, संयुक्त महामंत्री डॉ असीम त्रिपाठी, मंत्री अमित कुमार मिश्र, देश दीपक मिश्र, मीडिया प्रभारी दीपक मिश्र, कार्यसमिति सदस्य पूनम सूद,
मीनू दूबे, प्रत्याशा मिश्रा, डॉ उषा त्रिपाठी, राजेश तिवारी, अमित शंकर, प्रदेश प्रतिनिधि डॉ सत्य प्रकाश त्रिपाठी, जय प्रकाश क्षेत्रपाल, शिवम पांडेय, राम प्रकाश दूबे तथा राजेन्द्र प्रसाद त्रिपाठी उपस्थित रहे।

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