अयोध्या। अखिल भारतीय चाणक्य परिषद के तत्वावधान में भरत हनुमान मिलाप मंदिर नंदीग्राम भरतकुंड मे काव्य की धारा बही, श्रोताओं ने इसका जमकर लुफ्त उठाया। कवि अशोक टाटम्बरी ने फागुन और बसंत को लेकर अपनी प्रसिद्ध रचना का पाठ किया।

होली मिलन समारोह में आयोजित इस कवि सम्मेलन की अध्यक्षता अखिल भारतीय चाणक्य परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक एवं श्री श्री परशुराम सेवा ट्रस्ट के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित कृपा निधान तिवारी ने की अध्यक्षता दुर्गा प्रसाद तिवारी आफत के संयोजनऔर आशु कवि अशोक टाटम्बरी की ओजपूर्ण संचालन की प्रेमरस बर्षा ने श्रोताओ का खूब मनोरंजन किया।कार्यक्रम की शुरुआत सरस्वती वंदना से विनय तिवारी द्वारा की गई, संत कबीर नगर से पवन दुबे प्रज्ञान ने राष्ट्रीयता से ओतप्रोत कविता और बस्ती से पधारे डॉ वेद प्रकाश दुबे प्रचंड ने वीर रस के साथ श्रृंगार रस की कविताएं से श्रोताओं को खूब रिझाया। फैजाबाद से श्याम जी पांडे करुणेश की कविताओं अबकी लडब प्रधानी और आज के राजनीति पर अच्छा कटाक्ष सुनाया राजकुमार तिवारी सरल एवं गिरजा प्रसाद तिवारी पीयूष, विनय बिंदास, मकरंद सहित दुर्गा प्रसाद तिवारी आफत समेत एक दर्जन से अधिक कवियों ने अपनी रचनाएं सुनाकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। अशोक टाटम्बरी ने अपनी साहित्य से ओतप्रोत मशहूर रचना –महकय लगे दिगंत तो समझो बसंत है बहकै लगे जब संत तो समझो बसंत है,सुना कर दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी.

कार्यक्रम के अंत में परिषद के राष्ट्रीय संरक्षक पंडित कृपा निधान तिवारी ने श्रोताओं और कवियों को धन्यवाद देते हुए इस सिलसिले को आगे बढ़ाने की अपील किया। कार्यक्रम में परिषद के लषणधर त्रिपाठी सूर्य नारायण दुबे उर्फ रज्जू राधेश्याम पांडे डॉक्टर आरडी पांडे डा ऋषि पांडे पूर्व प्रधान राम भरत पांडे राहुल मिश्रा विनोद तिवारी आदि भारी संख्या में उपस्थित दर्शकों ने होली मिलन की काव्य रस धारा का खूब आनंद उठाया।